रविवार

संचार के कार्य (Functions of Communication)


       21वीं शताब्दी का मानव संचार माध्यमों से घिरा हुआ है। इसके अभाव में न तो कोई व्यक्ति, समूह व समाज प्रगति कर सकता है और न तो मानव जीवन में जीवान्तता  आ सकती है। इसकी उपयोगिता को देखते हुए लार्ड मैकाले ने संचार को 'चौथीसत्ता' का नाम दिया। संचार के कार्यो को उनकी प्रकृति के आधार पर दो श्रेणियों में विभाजित किया जा सकता है। पहला, प्राथमिक कार्य- जिसके अंतर्गत सूचना देना, शिक्षित करना, निर्देशित करना दूसरा, द्वितीयक कार्य- जिसके अंतर्गत विचार विमर्श, संगोष्ठी, सेमीनार, परिचर्चा, वार्तालॉप इत्यादि आते हैं । संचार विशेषज्ञ हैराल्ड लॉसवेल ने संचार के तीन प्रमुख कार्य बतलाया है।  
1. सूचना संग्रह एवं प्रसार,
2. समाज व परिवेश के विभिन्न अंगों से सम्बन्ध स्थापित करना, और
3. सांस्कृतिक विरासत को एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक स्थानांतरित करना। 

    
(1) सूचित करना : एक जमाना था, जब कहा जाता था- Knowledge is Power (ज्ञान ही शक्ति है), लेकिन आज कहा जाता है- The Information is Power (सूचना ही शक्ति है)।  दूसरे शब्दों में, जिसके पास नवीनतम और अधिकतम सूचना होगी, वह सबसे अधिक ताकतवर होगा। आधुनिक युग में सूचना एक शक्तिशाली हथियार बनकर उभरा है, जिस व्यक्ति या समाज या राष्ट्र के पास जितनी अधिक सूचना होती है, उसे उतना ही अधिक शक्तिशाली माना जाता है। उतना ही अधिक प्रगति के पथ पर अग्रसर होता है। मानव अपने जिज्ञासु स्वभाव के कारण पास-पड़ोस और देश-दुनिया की ताजातरीन घटनाओं से जुड़ी सूचनाओं को जानने के लिए सदैव तत्पर रहता है। सूचनाओं के अभाव में स्वयं को समाज से कटा हुआ महसूस करता है। आधुनिक युग में संचार माध्यमों का प्रमुख कार्य सूचना देना है। इस कार्य को समाचार पत्र, पत्रिका, रेडियो, टेलीविजन, कम्प्यूटर, ई-मेल, इंटरनेट, टेलीफोन, मोबाइल, सोशल नेटवर्किंग साइट्स, यू-ट्यूब, वेब पोर्टल्स इत्यादि के माध्यम से किया जा रहा है।  

(2) शिक्षित करना : संचार का दूसरा प्रमुख कार्य शिक्षा का प्रचार-प्रसार कर समाज के लोगों को शिक्षित करना है। शिक्षा ने विज्ञान को जन्म दिया है और विज्ञान ने संचार माध्यमों को। अब संचार माध्यम शिक्षा और विज्ञान दोनों के प्रचार व प्रसार में उल्लेखनीय भूमिका निभा रहे हैं। समाज को शिक्षित करने का उद्देश्य मात्र पढऩा-लिखना नहीं है, बल्कि देश व समाज में उपलब्ध संसाधनों की जानकारी देकर उपयोग करने योङ्गय बनाना है। शिक्षा से मानव का बौद्धिक विकास व चरित्र निर्माण होता है। मानव जीवन में कलात्मकता का सूत्रपात होता है। अपने अनुभवों के आदान-प्रदान से मानव बहुत कुछ सीखने का प्रयत्न करता है। अनुभवों का उद्भव अनौपचारिक संचार से होता है, जिसमें औपचारिक शिक्षा की भूमिका महत्वपूर्ण है। विशेषज्ञों का कथन है कि, संचार माध्यमों द्वारा शिक्षा का जितना अधिक प्रचार-प्रसार होगा, देश व समाज उतना ही अधिक सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक, राजनीतिक और नैतिक विकास की दृष्टि से समृद्धशाली होगा। आजकल टेलीविजन व रेडियो पर NCERT और IGNOU के अनेक शैक्षणिक कार्यक्रमों का प्रसारण हो रहा है। समाचार पत्रों, पत्रिकाओं व वेबसाइटों पर प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के बारे में विस्तृत जानकारी दी जा रही है। अत: लोगों का शिक्षित करना संचार का प्रमुख कार्य है।  

(3) मनोरंजन करना : संचार माध्यमों का तीसरा प्रमुख कार्य लोगों का मनोरंजन करना है। मनोरंजन में मानव जीवन की नीरसता को तोडऩे, चिंता व तनाव से ध्यान हटाने तथा ताजगी भरने की क्षमता होती है। यहीं कारण है कि संचार माध्यमों की मदद से कार्टून, लेख, संगीत, कविता, नाटक इत्यादि का प्रसारण/प्रकाशन किया जाता है। वर्तमान समय में सिनेमा, रेडियो, टेलीविजन, कम्प्यूटर, इंटरनेट जैसे माध्यम लोगों के समक्ष मनोरंजनात्मक सामग्री प्रस्तुत कर रहे हैं। मनोरंजन लोगों की भावना व संवेदनशीलता से जुड़ा है, क्योंकि अपने दैनिक जीवन में लोग सिनेमा कलाकारों का अनुसरण करते हैं। मनोरंजन के माध्यमों से लोगों को पास-पड़ोस के परिवेश, संस्कृति, फैशन इत्यादि के बारे में जानने, समझने व सीखने का मौका मिलता है। संचार माध्यम समाज में अलग-अलग स्थानों पर बिखरे किन्तु एक ही प्रकृति के लोगों को मनोरंजन के माध्यम से जोड़ता है तथा आनंद की अनुभूति कराता है। सन् 1990 के दशक में टेलीविजन तथा सन् 2000 के दशक में एफएम रेडियो ने बेडरूम में घुसपैठ की तथा मनोरंजनात्मक कार्यक्रमों का प्रसारण कर लोगों को अपने मोह जाल में फंसा लिया। 

      आधुनिक युग में सूचना और मनोरंजन परस्पर एक दूसरे के निकट आ गये हैं। इसका उदाहरण है, समाचार पत्रों में कार्टून तथा टीवी चैनलों पर एनीमेशन के साथ समाचारों का प्रकाशन व प्रसारण। इनके मिश्रण से एक नया शब्द बना है-'इन्फोटेन्मेंट' अर्थात् ऐसी सामग्री जिसमें 'इनर्फोमेशन' (सूचना) भी हो और 'इंटरनेटमेंट' (मनोरंजन) भी।

अन्य कार्य : संचार के अन्य प्रमुख कार्य निम्नलिखित हैं :-

    (A) मानवीय संवेदनाओं को व्यक्त करना,
    (B) भावनात्मक स्तर पर तुष्टिकरण का उपाय करना,
    (C) पर्यावरण संरक्षण के प्रति सदैव तत्पर रहना,
    (D) नवाचार के प्रचार-प्रसार में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करना,
    (E) निरसता को दूर कर बदलाव के लिए प्रेरित करना,
    (F) विभिन्न सामाजिक घटकों पर निगरानी रखना, और
    (G) सामाजिक उन्नयन के लिए प्रयत्नशील रहना।

    उपरोक्त आधार पर कहा जा सकता है कि संचार एक ऐसा वरदान है, जिसका उपयोग कर मानव ने अपने बौद्धिक कौशल को विकसित करने और अपने बुद्धि व परिश्रम के बल पर बेहतर जीवन बनाने का प्रयास किया है। इसीलिए मानव को अन्य जीवधारियों में श्रेष्ठ माना जाता है।

(यह चौथी सत्ता ब्लाग के मॉडरेट द्वारा लिखित पुस्तक- 'भारत में जनसंचार एवं पत्रकारिता' का संपादित अंश है। उक्त पुस्तक को मानव संसाधन विकास मंत्रालय की विश्वविद्यालय स्तरीय पुस्तक निर्माण योजना के अंतर्गत हरियाणा ग्रंथ अकादमी, पंचकूला ने प्रकाशित किया है। पुस्तक के लिए 0172- 2566521 पर हरियाणा ग्रंथ अकादमी तथा 09418130967 पर लेखक से सम्पर्क किया जा सकता है।)

गुरुवार

संचार की अवधारणा (Concept of Communication)

संचार एक अनवरत प्रक्रिया है। इसकी उत्पत्ति पृथ्वी पर मानव सभ्यता के साथ हुई है। प्रारंभिक युग में मानव अपनी भाव-भंगिमाओं और प्रतीक चिन्हों के माध्यम से संचार करता थाकिन्तु आधुनिक युग में सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में क्रांतिकारी अनुसंधान के कारण संचार बुलन्दी पर पहुंच गया है। रेडियोटेलीविजनसिनेमाटेलीफोनमोबाइलफैक्सइंटरनेटई-मेलवेब साइट्सटेलीप्रिन्टरइंटरकॉमटेली-कान्फ्रेंसिंगकेबलसमाचार पत्रपत्रिका इत्यादि संचार के अत्याधुनिक माध्यम हैं। संचार माध्यमों को अत्याधुनिक बनाने में युद्धों की भूमिका महत्वपूर्ण रही है। 20 वीं शताब्दी के मध्य तक संचार को स्वतंत्र विषय नहीं माना जाता था। राजनीतिशास्त्रसमाजशास्त्रमानवशास्त्र तथा मनोविज्ञान के विशेषज्ञ अपने विषय की जरूरत के मुताबिक अध्ययन करते थे। हालांकिइसकी विशिष्टता का एहसास दुनिया को प्रथम विश्व युद्ध (1914-1918) के  बाद होने लगा था। एक स्वतंत्र विषय के रूप में इसके अध्ययन की आवश्यकता तब महसूस की गयीजब द्वितीय विश्व युद्ध (1939-1945) के दौरान जर्मनी के तानाशाह शासक हिटलर के प्रचार मंत्री गोयबल्स ने कहना शुरू किया- 'किसी झूठ को बार-बार दोहराओ तो सच हो जाता है'। द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद पूरी दुनिया दो गुटों में विभाजित हो गयी थी। एक गुट का साम्राज्यवादी अमेरिका तथा दूसरे गुट का साम्यवादी सोवियत संघ नेतृत्व करने लगा। दोनों महाशक्तियों के बीच विदेशी उपनिवेश से मुक्त होने वाले भारत जैसे कुछ तीसरी दुनिया के देश थेजिन्हें अपने गुट में शामिल करने के लिए महाशक्तियों के बीच होड़ मची थी। इसके लिए दोनों अपने सैन्य बलों को अत्याधुनिक हथियारों (नाभिकीय व जैविक बमों) तथा खुफिया तंत्रों को अत्याधुनिक संचार माध्यमों से लैस करने में लगे थे। इसी दौरान अमेरिकी प्रतिरक्षा विभाग ने इंटरनेट का आविष्कार किया। सोवियत संघ के विघटन के बाद अमेरिका ने अपने इंटरनेट का दरवाजा दुनिया को उपयोग करने के लिए खोल दिया हैजो वर्तमान समय में सबसे त्वरित गति का संचार माध्यम है।

संचार  ( Communication) : संचार शब्द का सामान्य अर्थ होता है- किसी सूचना या संदेश को एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक पहुंचाना या सम्प्रेषित करना। शाब्दिक अर्थों में संचार अंग्रेजी भाषा के Communication शब्द का हिन्दी रूपांतरण है। जिसकी उत्पत्ति लैटिन भाषा के Communis शब्द से हुई है, जिसका अर्थ होता है सामान्य (Commun), अर्थात्... संचार शब्द से तात्पर्य सूचना देने वाले संचारक (Sender) और सूचना ग्रहण करने वाले प्रापक (Receiver) के मध्य उभयनिष्ठता स्थापित करने से है। इससे संचारक और प्रापक के मध्य समझदारी व साझेदारी विकसित होती है। दूसरे शब्दों में कहें तो संचार एक ऐसा प्रयास है जिसके माध्यम से एक व्यक्ति दूसरे व्यक्ति के विचारों, भावनाओं एवं मनोवृत्तियों में सहभागी बनता है। संचार का आधार 'संवाद' और सम्प्रेषण है। विभिन्न विधाओं के विशेषज्ञों ने संचार को परिभाषित करने का प्रयास किया है, लेकिन किसी एक परिभाषा पर सर्वसम्मत नहीं बन सकी है। कुछ प्रचलित परिभाषाएं निम्नलिखित हैं : 

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·         ऑक्सफोर्ड डिक्शनरी के अनुसार- विचारों, जानकारी वगैरह का विनिमय, किसी और तक पहुंचाना या  बांटना, चाहे वह लिखित, मौखिक या सांकेतिक हो, संचार है।
·         चार्ल्स ई. ऑसगुड के अनुसार- आम तौर पर संचार तब होता है, जब एक सिस्टम या स्रोत किसी दूसरे या गंतव्य को विभिन्न प्रकार के संकेतों के माध्यम से प्रभावित करें ।  
·         लुईस ए. एलेन के अनुसार- संचार उन सभी क्रियाओं का योग है जिनके द्वारा एक व्यक्ति दूसरे के साथ समझदारी स्थापित करना चाहता है। संचार अर्थों का एक पुल है। इसमें कहने, सुनने और समझने की एक व्यवस्थित तथा नियमित प्रक्रिया शामिल है।
·         कैथ डैविस के अनुसार- एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति को सूचना भेजने तथा समझने की विधि है। यह आवश्यक तौर पर लोगों में अर्थ का एक पुल है। पुल का प्रयोग करके एक व्यक्ति आराम से गलत समझने की नदी को पार कर सकता है।
·         ऐलन के अनुसार- संचार से तात्पर्य उन समस्त तरीकों से है, जिनको एक व्यक्ति अपनी विचारधारा को दूसरे व्यक्ति की मस्तिष्क में डालने या समझाने के लिए अपनाता है। यह वास्तव में दो व्यक्तियों के मस्तिष्क के बीच की खाई को पाटने वाला सेतु है। इसके अंतर्गत् कहने, सुनने तथा समझने की एक वैज्ञानिक प्रक्रिया सदैव चालू रहती है।
·         मैकडेविड और हरारी के अनुसार- मनोवैज्ञानिक दृष्टि से संचार से तात्पर्य व्यक्तियों के बीच विचारों और अभिव्यक्तियों के आदान-प्रदान से है।
·         क्रच एवं साथियों के अनुसार- किसी वस्तु के विषय में समान या सहभागी ज्ञान की प्राप्ति के लिए प्रतीकों का उपयोग ही संचार है। यद्यपि मनुष्यों में संचार का महत्वपूर्ण माध्यम भाषा ही है, फिर भी अन्य प्रतीकों का प्रयोग हो सकता है।
उपरोक्त परिभाषाओं के आधार पर कहा जा सकता है कि किसी एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति अथवा समूह को कुछ सार्थक चिह्नों, संकेतों या प्रतीकों के माध्यम से ज्ञान, सूचना, जानकारी व मनोभावों का आदान-प्रदान करना ही संचार है।

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यह चौथी सत्ता ब्लाग के मॉडरेट द्वारा लिखित पुस्तक भारत में जनसंचार एवं पत्रकारिता का संपादित अंश है। उक्त पुस्तक को मानव संसाधन विकास मंत्रालय की विश्वविद्यालय स्तरीय पुस्तक निर्माण योजना के अंतर्गत हरियाणा ग्रंथ अकादमी, पंचकूला ने प्रकाशित किया है। पुस्तक के लिए 0172- 2566521 पर हरियाणा ग्रंथ अकादमी तथा 09418130967 पर लेखक से सम्पर्क किया जा सकता है।)


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